ख्वाहिशों का बोझ जब हद से ज़्यादा बढ़ता है, इंसान | English Shayari

"ख्वाहिशों का बोझ जब हद से ज़्यादा बढ़ता है, इंसान न तो जीता है, और न ही मरता है! ©Deepak Kumar 'Deep'"

 ख्वाहिशों का बोझ
जब हद से ज़्यादा बढ़ता है,
इंसान न तो जीता है,
और  न  ही  मरता  है!

©Deepak Kumar 'Deep'

ख्वाहिशों का बोझ जब हद से ज़्यादा बढ़ता है, इंसान न तो जीता है, और न ही मरता है! ©Deepak Kumar 'Deep'

#Bhoojh

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