White जहाँ झूठ ना बिक सके ऐसा कोई बाजार नहीं। सत्य | हिंदी शायरी

"White जहाँ झूठ ना बिक सके ऐसा कोई बाजार नहीं। सत्य का फिलहाल दोस्तों कोई खरीददार नहीं। झूठ ने खड़ी कर ली मजबूत सल्तनत हर ओर, सत्य दर दर भटक रहा किसी को ऐतबार नहीं। क्रमशः सुजल© ©BN GARG"

 White जहाँ झूठ ना बिक सके ऐसा कोई बाजार नहीं।
सत्य का फिलहाल दोस्तों कोई खरीददार नहीं।

झूठ ने खड़ी कर ली मजबूत सल्तनत हर ओर,
सत्य दर दर भटक रहा किसी को ऐतबार नहीं।

क्रमशः

सुजल©

©BN GARG

White जहाँ झूठ ना बिक सके ऐसा कोई बाजार नहीं। सत्य का फिलहाल दोस्तों कोई खरीददार नहीं। झूठ ने खड़ी कर ली मजबूत सल्तनत हर ओर, सत्य दर दर भटक रहा किसी को ऐतबार नहीं। क्रमशः सुजल© ©BN GARG

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