यूँ दूर से ही बातें हो जाती है दर्शन न सही मन गत | हिंदी Life
"यूँ दूर से ही
बातें हो जाती है
दर्शन न सही
मन गति ही
ज्ञात हो जाती है
कहाँ, कौन और कैसा
शब्दों के मानक से
अनुभूति हो जाती है
कोई आवरण नहीं
मित्रता के मध्य
प्रायः हृदय की
पवित्रता समझ
आ जाती है।"
यूँ दूर से ही
बातें हो जाती है
दर्शन न सही
मन गति ही
ज्ञात हो जाती है
कहाँ, कौन और कैसा
शब्दों के मानक से
अनुभूति हो जाती है
कोई आवरण नहीं
मित्रता के मध्य
प्रायः हृदय की
पवित्रता समझ
आ जाती है।