मैं स्याही और अक्षर से ख़ुद की आवाज़ लिखता हूँ | हिंदी कविता

"मैं स्याही और अक्षर से ख़ुद की आवाज़ लिखता हूँ टूटे बिखरे खंडहर के सन्नाटों और तन्हाइयों कि , बात लिखता हूँ.... कलम की स्याही के हर कतरे से , वो कोहरे सी धुंधली, शाम लिखता हूँ ... हाँ ! कुछ नज़्म, ख़ुद के नाम लिखता हूँ... . ©Karanjeet Sawariyan"

 मैं स्याही और अक्षर से 
ख़ुद की आवाज़ लिखता हूँ 

टूटे बिखरे खंडहर के सन्नाटों 
और तन्हाइयों कि ,
बात लिखता हूँ....

कलम की स्याही के
हर कतरे से ,
वो कोहरे सी धुंधली,
शाम लिखता हूँ ...

हाँ ! कुछ नज़्म,
ख़ुद के नाम लिखता हूँ...





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©Karanjeet Sawariyan

मैं स्याही और अक्षर से ख़ुद की आवाज़ लिखता हूँ टूटे बिखरे खंडहर के सन्नाटों और तन्हाइयों कि , बात लिखता हूँ.... कलम की स्याही के हर कतरे से , वो कोहरे सी धुंधली, शाम लिखता हूँ ... हाँ ! कुछ नज़्म, ख़ुद के नाम लिखता हूँ... . ©Karanjeet Sawariyan

नज़्म ख़ुद के नाम लिखता हूँ...
by Karanjeet Sawariyan
#Poetry #karanjeet_sawariyan

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