बाग़ीचे के झिने-झिने सावन को कोई ले आए। बस एक ही | हिंदी विचार

"बाग़ीचे के झिने-झिने सावन को कोई ले आए। बस एक ही इल्तिजा है, बचपन को कोई ले आए।।"

 बाग़ीचे के झिने-झिने सावन को कोई ले आए। 
बस एक ही इल्तिजा है, बचपन को कोई ले आए।।

बाग़ीचे के झिने-झिने सावन को कोई ले आए। बस एक ही इल्तिजा है, बचपन को कोई ले आए।।

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