White कब आंखे लेकर उतरा था?
सच कागज़ पे ही बिखरा था।।
तुम आते तो मिल ही जाता,
वो रस्ता - रस्ता ,ठहरा था।।
सर हंसते - हंसते दे देता ,
बस तेरा ही तो चहरा था।।
तुम आंखो से ही कह देते,
ये माना दिल पे पहरा था।।
©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
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