बहुत ली है परीक्षाएं , तुमने
अब क्यों दूं , मैं और परीक्षाएं |
नहीं हूं त्रेता युग की सिया ,मै
जो अग्नि परीक्षा शह पाएगी |
नहीं हूं द्वापर की द्रोपदी, जो भरी सभा ,
खुद को बदनाम कर पाएगी |
विश पिया था ,मीरा ने जिसकी खातिर
क्या अब वो अब इस धरती पर आएंगे |
लिखकर खत हम उनको , क्या रुकमणी की तरह
उनको अपना हाल सुना पाएंगे
©pari dixit
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