White जिसको जितनी थी ज़रूरत
उतना ही उसने जाना मुझे
वो बढ़ते सिकुड़ते होंठों को
मैं खुश हूं ऐसा माना मुझे
कभी चाहतों को कुचल कर
जिम्मेदारियों का बोझ दिया मुझे
कभी जिम्मेदारियाँ निभाते हुए
मेरी खुशियाँ छीना मुझसे
वो एक ही तो है जिसे चाहा है मैंने
या ख़ुदा तूने भी ना जाना मुझे
कभी ख़ामोशियों में फिरता हूँ अब
कभी तन्हाइयों नें घेरा है मुझे
इतने सूरज आजमाए मैंने फिर भी
दिखता चारो ओर अंधेरा है मुझे
©rj_vishwa
अंधेरा 😊
#andhera