Unsplash ख़्वाहिशों की पतँग,आसमाँ तक जाती रही..! न | हिंदी Shayari

"Unsplash ख़्वाहिशों की पतँग,आसमाँ तक जाती रही..! नज़ारे जमीं पे डोर,दिलकश दिखाती रही..! ©SHIVA KANT(Shayar)"

 Unsplash  ख़्वाहिशों की पतँग,आसमाँ तक जाती रही..!
नज़ारे जमीं पे डोर,दिलकश दिखाती रही..!

©SHIVA KANT(Shayar)

Unsplash ख़्वाहिशों की पतँग,आसमाँ तक जाती रही..! नज़ारे जमीं पे डोर,दिलकश दिखाती रही..! ©SHIVA KANT(Shayar)

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