अश्क़ अश्क अभी भी इंतजार में है, जो तुम कह गई थी रुकना मैं आऊंगी,
पर ये नहीं कहा था कि, तुमको छोड़ मैं किसी और को भी मनाऊंगी !
अश्कों को ठहरा कर अपने आशियाने में अब तो पलके भी थक गई,
किसी और का होने को न जाने अश्कों को इंतजार में अपने क्यों ही रख गई !
©Thakur Vivek Krishna
दर्द