हमने तो मोहब्बत समझा था
भूल कर संस्कार, इज्जत माँ पिता का
उसे खुदा का भेजा शख्स समझा था
चेहरे पर नकाब तो अक्सर पढ लेती थी
कमबख्त उसकी आंखों में भी एक नकाब छिपा था
पढ लिया जिसे हमने मोहब्बत भरी आँखे
उन आंखों में तो हवस भरा था
©कलम की दुनिया
# मोहब्बत का भ्रम