बचपन और बड़े भैया बचपन में हम रहते थे संग भैय्या के
"बचपन और बड़े भैया बचपन में हम रहते थे संग भैय्या के पीछे-पीछे।
एक भरोसा था उन पर चलते अखियां मीचे-मीचे।
पिता तुल्य थे भ्राता अपने करते हरदम आगाह।
छोड़ हाथ चले गये वो हम खड़े है मुट्ठीयां भींचे।
सुधा भारद्वाज"निराकृति""
बचपन और बड़े भैया बचपन में हम रहते थे संग भैय्या के पीछे-पीछे।
एक भरोसा था उन पर चलते अखियां मीचे-मीचे।
पिता तुल्य थे भ्राता अपने करते हरदम आगाह।
छोड़ हाथ चले गये वो हम खड़े है मुट्ठीयां भींचे।
सुधा भारद्वाज"निराकृति"