अंधेरा था घना उजाले की तलाश में। किसे देते आवाज़ क | हिंदी Poetry

"अंधेरा था घना उजाले की तलाश में। किसे देते आवाज़ कोई न था पास में। जब मिली मंज़िल तो पता किया हमने, सब कुछ था, जैसा है आज एहसास में। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 अंधेरा था घना उजाले की तलाश में।
किसे देते आवाज़ कोई न था पास में।

जब मिली मंज़िल तो पता किया हमने,
सब कुछ था, जैसा है आज एहसास में।

©मनीष कुमार पाटीदार

अंधेरा था घना उजाले की तलाश में। किसे देते आवाज़ कोई न था पास में। जब मिली मंज़िल तो पता किया हमने, सब कुछ था, जैसा है आज एहसास में। ©मनीष कुमार पाटीदार

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