सोचा नहीं था कि हालतें इतनी अजीब होंगी धर्म के नाम | हिंदी कविता

"सोचा नहीं था कि हालतें इतनी अजीब होंगी धर्म के नाम पर सिर्फ नफरतें करीब होंगीं सियासत को मन्दिर और मस्जिद से फुर्सत नहीं ना जाने कब मुफलिसों को रोटियाँ नसीब होंगीं ©Rashmi Yadav"

 सोचा नहीं था कि हालतें इतनी अजीब होंगी
धर्म के नाम पर सिर्फ नफरतें करीब होंगीं
सियासत को मन्दिर और मस्जिद से फुर्सत नहीं
ना जाने कब मुफलिसों को रोटियाँ नसीब होंगीं

©Rashmi Yadav

सोचा नहीं था कि हालतें इतनी अजीब होंगी धर्म के नाम पर सिर्फ नफरतें करीब होंगीं सियासत को मन्दिर और मस्जिद से फुर्सत नहीं ना जाने कब मुफलिसों को रोटियाँ नसीब होंगीं ©Rashmi Yadav

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