जब भी मैं रिश्तों की उलझन में होता हूँ, आपकी बात | हिंदी कविता

"जब भी मैं रिश्तों की उलझन में होता हूँ, आपकी बातें जुगनू की तरह रोशनी करते हुए याद आती हैं, याद आते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है, ठीक वैसे जैसे सुबह के वक़्त रात का ओस फैला होता है... ©YASHVARDHAN . ©YASHVARDHAN"

 जब भी मैं

रिश्तों की उलझन में होता हूँ,

आपकी बातें जुगनू की तरह रोशनी करते हुए

याद आती हैं,

याद आते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है,

ठीक वैसे जैसे सुबह के वक़्त

रात का ओस फैला होता है...



©YASHVARDHAN











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©YASHVARDHAN

जब भी मैं रिश्तों की उलझन में होता हूँ, आपकी बातें जुगनू की तरह रोशनी करते हुए याद आती हैं, याद आते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है, ठीक वैसे जैसे सुबह के वक़्त रात का ओस फैला होता है... ©YASHVARDHAN . ©YASHVARDHAN

#जुगनू 💞

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