यूहीं नहीं टूटा भरोसा मेरा लोगों से
एक सिलसिला इस कदर जारी रहा
एक राज बताया किसी पे भरोसा कर
वह कम्बक्त मुरीद किसी और का निकला
जो मेरा राज किसी और को बता बैठा
भरोसे का यह सिलसिला कितनी बार चल होगा
तब जाकर टूटा होगा भरोसा मेरा इन लोगों से
जब मेरा ही राज मुझे किसी और से पता चला होगा।।
(m.bhatt)
©Manoj Bhatt
#भरोसा