दर्द भी देते है हम ही, और दबा भी देते है
सजा माफी की अर्जी भी उसी की, और उसी के खिलाफ गवाह भी देते है
क्या सजा देगा वो भी, जिसका कई मर्तबा दिल टूटा हो
क्या मालूम कितना गहरा दरिया, जिसका खुद हमसफर रूठा हो
सुख दुख हो जीवन में फिर क्या सुकून और उल्लाश चाहिए
हो न जिसमें अब झूठी उम्मीदें और सपने "विवेक" तुमको ऐसी आस चाहिए
©Thakur Vivek Krishna
#Happiness