White शिशिर ऋतु होती थी सुखद और मन को भाने वाली | हिंदी कविता

"White शिशिर ऋतु होती थी सुखद और मन को भाने वाली ठंडी -ठंडी हवाएं और गुनगुनी धूप भी प्यारी खाने में आता था स्वाद और नींद आती थी खूब फूल खिलते थे सुंदर और ओस पर पड़ती थी धूप अब का मौसम आया है शीत ऋतु का प्रतिकूल चलते हैं अभी रात में पंखे रजाई कंबल हो गये हैं दूर खाने में आये न कोई स्वाद चुभने लगी है सुबह की धूप रात हो गयी बहुत लंबी और दिन हो गया है छोटा समय गुजर रही है यूं ही काम कुछ भी नहीं होता ©Deepmala Pandey Raipur"

 White शिशिर ऋतु होती थी सुखद 
और मन को भाने वाली 
ठंडी -ठंडी हवाएं और 
गुनगुनी धूप भी प्यारी 
खाने में आता था स्वाद 
और नींद आती थी खूब
फूल खिलते थे सुंदर और
ओस पर पड़ती थी धूप
अब का मौसम आया है 
शीत ऋतु का प्रतिकूल 
चलते हैं अभी रात में पंखे 
रजाई कंबल हो गये हैं दूर 
खाने में आये न कोई स्वाद 
चुभने लगी है सुबह की धूप
रात हो गयी बहुत लंबी 
और दिन हो गया है छोटा 
समय गुजर रही है यूं ही 
काम कुछ भी नहीं होता

©Deepmala Pandey Raipur

White शिशिर ऋतु होती थी सुखद और मन को भाने वाली ठंडी -ठंडी हवाएं और गुनगुनी धूप भी प्यारी खाने में आता था स्वाद और नींद आती थी खूब फूल खिलते थे सुंदर और ओस पर पड़ती थी धूप अब का मौसम आया है शीत ऋतु का प्रतिकूल चलते हैं अभी रात में पंखे रजाई कंबल हो गये हैं दूर खाने में आये न कोई स्वाद चुभने लगी है सुबह की धूप रात हो गयी बहुत लंबी और दिन हो गया है छोटा समय गुजर रही है यूं ही काम कुछ भी नहीं होता ©Deepmala Pandey Raipur

#good_night

People who shared love close

More like this

Trending Topic