कासह सर (ब्रह्मांड) की सारी खुशियां भी मुझे मिल जाएगी।
आलिम ए वेदों(वेदों के ज्ञाता) की नजरें भी करम फरमाएंगी।
शाह ए जमीं का ताज कदमों में मेरे बिछ जाएगा।
यम भी अपनी जां की मिन्नत करने मुझसे आयेगा।
अनमोल से अनमोल थी जो वो कहां मिल पाएगी।
बेशक ये हरम ए ताजदारी भी मुझे मिल जाएगी।
जन्नत मिले चाहे जमीं पर खुश ना मैं रह पाऊंगा।
इतना बता दें मां मुझे तुझे फिर से कैसे पाऊंगा।
©SOGVAAR
"मां"
"नज़्म" @ll SUMER SINGH GAUR ll @Faisal jaani @Bh@Wn@ Sh@Rm@ @anurag Dubey Sandeep mohan