रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश | हिंदी कविता

"रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 रिश्ते
आजीवन हम सभी बनाते
तरह तरह के रिश्ते
इन रिश्तों के बीच में पड़कर
हरदम रहते पिसते

किसी से सुख मिलता है हमको
किसी से मिलता दुःख
अलग अलग रिश्तों पर अपना
रोज बदलता रुख

कोई रिश्ता नया बनाते
मिलती हमे मिठास
लेकिन जब जर्जर हो जाता
नहीं फटकते पास

बेखुद कोई दोस्त है बनता
कोई  बनता दुस्मन
बिन रिश्तों के रूप कई हैं
टूटें जब होता गम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#रिश्ते

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