शब्द किसीकी जागीर नही होते
वे पिघल जाते हैं ज़ेहन के
लावे में
ये जो कतरा कतरा जिनगी है न
इसे अक़्सर पी जाते हैं हम
बेमौसम बारिशों में
पता है क्यों?
क्योंकि प्यास अधूरी नही रहती
ज़िन्दगी चलती रहती है
एक नमी लिए
ये जो हम कहते हैं न
की शब्द गुम हो जाते हैं
तो सुनो यह गुम नही होते
वे ठहर माया करते हैं
हम सबकी आंखों में
कभी मेरे तो क़भी आपकी आंखों मर
सुनो न देव
शब्द किसीकी जागीर नही होते हैं
©स्वरा
#सुनो न देव