तमन्नाएं दिल में तुम्हारे लिए हम,
अनजान राहों पर निकल पड़े हैं।
मंजिल कब मिलेगी मालूम नहीं,
बस तुम्हारे भरोसे निकल पड़े हैं।
डर भी है कहीं तुम बदल ना जाओ,
हाथ छोड़, कहीं तुम खो ना जाओ।
भरोसे, वफादारी अब कहां मिलती,
मूरझाया फूल दूबारा नहीं खिलता।
©ChandraVilash Kachwahe
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