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ये कैसा ख्वाब संजोए जा रहा था मैं, लबों पर हसी और | हिंदी शायरी

"ये कैसा ख्वाब संजोए जा रहा था मैं, लबों पर हसी और आँखों से रोए जा रहा था मैं। ख़ुदा ने भी ये कैसा काम बक्शा था मुझे, तेरे रुख़सत पर फूल बरसाए जा रहा था मैं।। ©ManPreet SingH"

 ये कैसा ख्वाब संजोए जा रहा था मैं, 
लबों पर हसी और आँखों से रोए जा रहा था मैं। 
ख़ुदा ने भी ये कैसा काम बक्शा था मुझे,
तेरे रुख़सत पर फूल बरसाए जा रहा था मैं।।

©ManPreet SingH

ये कैसा ख्वाब संजोए जा रहा था मैं, लबों पर हसी और आँखों से रोए जा रहा था मैं। ख़ुदा ने भी ये कैसा काम बक्शा था मुझे, तेरे रुख़सत पर फूल बरसाए जा रहा था मैं।। ©ManPreet SingH

#Broken
#Irrfan

Atul vasava
Atul vasava

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