जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका ग़म में कभ | हिंदी शायरी

"जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं... ©Devendra Bisht"

 जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका

ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका

जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं

जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं

फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं

तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं...

©Devendra Bisht

जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं... ©Devendra Bisht

Jaun elia sahib
#Nojoto #nojotohindi

#Hopeless

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