English
||Amorist||
जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं... ©Devendra Bisht
Devendra Bisht
16 Love
तेरे ख़याल के आते ही लौटने से लगा कि उदासी में हर चीज़ ग़म नहीं होती, जो तेरे साथ मोहोब्बत थी मर गयी अब वो, मगर जो तुझसे अक़ीदत है वो कम नहीं होती। ©Devendra Bisht
18 Love
तुम्हारी सोच जो भी हो मैं उस मिज़ाज की नहीं मुझे वफ़ा से बैर है ये बात आज की नहीं न उस को मुझ पे मान था न मुझ को उस पे ज़ोम ही जो अहद ही कोई न हो तो क्या ग़म-ए-शिकस्तगी सो अपना अपना रास्ता हँसी-ख़ुशी बदल दिया वो अपनी राह चल पड़ी मैं अपनी राह चल दिया भली सी एक शक्ल थी भली सी उस की दोस्ती अब उस की याद रात दिन नहीं, मगर कभी कभी ©Devendra Bisht
13 Love
मुद्दतें दर्द की लौ को कम तो नहीं कर सकती, ज़ख्म भर जाए मगर दाग तो रह जाता है, दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकती। ©Devendra Bisht
14 Love
डूबती साँसे, बुझती निगाहें तुझे ढूंढ रही हैं सामने आजा एक बार। ©Devendra Bisht
किसी के लम्स की तासीर है कि बरसों बा'द मिरी किताबों में अब भी गुलाब जागते हैं ये नींद लेती है 'बेनूर' वो ख़िराज कि बस जो ख़ूब सोते हैं हो कर ख़राब जागते हैं ©Devendra Bisht
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here