White जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो | हिंदी कविता

"White जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो गर ना मिले हल प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो थपेड़े वक्त के जब गर्म हो हवाएं भी जब नर्म हो पलटवार करना जरूरी जब विपरीत में स्वभाव अड़ंग हो भीड़ में जब महसूस अलग हो हो रही पहचान खुद की समझ लो थोड़ा रुक पीछे देख लेना कितने अनमोल तुम स्वयं हो जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो रगर ना मिले हर प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो !" ©kanchan Yadav"

 White जब मन की गति धीमी हो 
 मौसम में थोड़ी नमी हो 
 गर ना मिले हल प्रश्नों का
 तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो

थपेड़े वक्त के जब गर्म हो 
हवाएं भी जब नर्म हो 
पलटवार करना जरूरी 
जब विपरीत में स्वभाव अड़ंग हो 

भीड़ में जब महसूस अलग हो
हो रही पहचान खुद की समझ लो 
थोड़ा रुक पीछे देख लेना 
कितने अनमोल तुम स्वयं हो

जब मन की गति धीमी हो 
मौसम में थोड़ी नमी हो
रगर ना मिले हर प्रश्नों का 
 तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो !"

©kanchan Yadav

White जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो गर ना मिले हल प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो थपेड़े वक्त के जब गर्म हो हवाएं भी जब नर्म हो पलटवार करना जरूरी जब विपरीत में स्वभाव अड़ंग हो भीड़ में जब महसूस अलग हो हो रही पहचान खुद की समझ लो थोड़ा रुक पीछे देख लेना कितने अनमोल तुम स्वयं हो जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो रगर ना मिले हर प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो !" ©kanchan Yadav

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