White जिंदगी भी यहां कैसे कैसे खेल देती है, कहीं ग | हिंदी कविता

"White जिंदगी भी यहां कैसे कैसे खेल देती है, कहीं गम तो कहीं खुशियां उड़ेल देती है। दुखों में अपने मुस्कराना सीख लो यारों यहां सुख की चाहत दुखों में धकेल देती है।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya"

 White जिंदगी भी यहां कैसे कैसे खेल देती है,
कहीं गम तो कहीं खुशियां उड़ेल देती है।
दुखों में अपने  मुस्कराना सीख लो यारों 
यहां सुख की चाहत दुखों में धकेल देती है।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" 
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

White जिंदगी भी यहां कैसे कैसे खेल देती है, कहीं गम तो कहीं खुशियां उड़ेल देती है। दुखों में अपने मुस्कराना सीख लो यारों यहां सुख की चाहत दुखों में धकेल देती है।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

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