"New Year 2024-25 परवरिश.... क्या आप भी उन लोगों में से है जो किसी दूसरे की परवरिश पर सवाल उठाते है बिना अपने खुद के गिरेबान में झांके... देखा जाए तो आज कल दो तरह के लोग पाए जाते है एक वो जो अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा आजादी दे देते है लाड़ प्यार में उन्हें इतना सर चढ़ा लेते है कि वो बच्चे कब हाथ से चले जाते हैं पता ही नहीं चलता ... तो दूसरे वो है जो अपने बच्चों पर अनुशासन का ऐसा पहरा लगा कर रखते है कि बच्चा सांस लेने से पहले भी आज्ञा मांगने लगेगा.... अरे नहीं ये तीसरे प्रकार के लोग तो रह ही गए जो केवल दूसरे पर तंज कसना जानते हो बढ़ी आसानी से कह दिया करते है फला इंसान की परवरिश ही अच्छी नहीं हैं ..... आपको नहीं लगता ये कहना किसी पर प्रहार करना जैसा है शब्दों के घाव आत्मा तक चीरने का काम कर जाते है .... आज के वक्त में दूध का धुला तो कोई नहीं होता पर हां सब लगे हैं एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में.... ये छोड़िए ये बात तो औरो की हुई आप खुद तो कहीं अपने बच्चे को वो बनाने पर नहीं तुले है जो आप खुद कभी नहीं बन सके ... यहां बात अच्छी आदतों की नहीं हो रही हैं बात है आप खुद कुछ भी हों लेकिन आपका बच्चा आपको हीरा बनाना हैं. ... आप कीचड़ में कमल खिलाने का प्रयास कर रहे हैं.... एक छोटा बच्चा तो केवल अनुकरण करना जानता है आप जैसा उसके साथ पेश आयेंगे वो सब सीख लेगा... आपने देखा होगा नन्हे से बच्चे को जो सिखाओ वो सब दोहराता है .... अब क्या होता हैं कि नन्हे से बच्चे की बोली इतनी भाती हैं कि कई बार घर के कुछ लोग या पड़ोस कोई भी हो सकता हैं मजे मजे में गाली देना सीखा देते हैं या बच्चा ऐसी चीजों को खुद बहुत जल्दी पकड़ लेता है अब उसने तो अनजाने में पकड़ी वो बात अब घर के सदस्यों के लिए वही खेल बन जाता है वो बार बार उसी बात को बच्चे से दोहराने के लिए कहते... तोतली बोली में जो गाली भी अच्छी लगती है अब सोचो बच्चा बड़ा होगा उसकी जुबा कभी तो साफ होगी और उसी साफ आवाज में वो भी गाली आप पर भी दोहराएगा उसके लिए गाली कोई बड़ी बात नहीं ये तो उसके ही घर के लोग आपस में यूं ही चलते फिरते हंसी मजाक में एक दूसरे को दे देते कोई बड़ी बात थोड़ी ही है बड़ी बात तब लगती है जब वहीं बच्चा अपने स्कूल या आस पास हर जगह आय ही की तरह सामान्य बोल चाल की तरह इन शब्दों का इस्तेमाल करता है और अब उसकी बोली तोतली नहीं रही की सुन कर मजा आएगा .. अब तो सुनने वाला तिलमिला उठता है कि ये बच्चा कहां सीख कर आया है. ..... खुद में चाहे बोलने की तमीज ना हो पर अपने बच्चों को तमीज और अनुशासन का ऐसा पाठ पढ़ाते है कि बच्चे की आवाज ऊंची ना हो ..... आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आदर्श बने तो पहले उसे सुधारने से पहले क्यों ना आप एक नज़र अपने किरदार की ओर घुमाए... देखे की आप खुद कितने झंडे गाड़ कर आये है और अगर नहीं तो पहले खुद को सुधार लीजिए अपनी गलत आदतों को सुधार लीजिए... हर बच्चे की क्षमताएं अलग है माहोल अलग है आप अपनी बेबुनियादी उम्मीदों का बोझ उनके नन्हे कंधों पर कैसे डाल देते हैं ये भूल कर कि आप खुद कभी बच्चे थे याद कीजिए क्या आप खुद भी इतने सक्षम थे जो अपने बच्चे को बनाना चाहते है.…. आपका बच्चा बड़ा होकर नाम कमाए ये उम्मीद रखना कोई गलत बात नहीं पर उसे वो माहौल देना वो सब सिखाना तो आप ही का काम हैं ... बाकि बेबुनियादी उम्मीदों का आधार क्या है..... अनुशासन के नाम पर उन्हें इतना मजबूर ना बनाए कि वो अपनी तकलीफ कहने तक को कतराने लगे.... ट्यूशन पढ़ाई एक्स्ट्रा एक्टिविटी बस आपका बच्चा सबसे आगे होना चाहिए इस होड़ में उससे उसका बचपना ना छीन लीजिएगा l ©Timsi thakur"
New Year 2024-25 परवरिश.... क्या आप भी उन लोगों में से है जो किसी दूसरे की परवरिश पर सवाल उठाते है बिना अपने खुद के गिरेबान में झांके... देखा जाए तो आज कल दो तरह के लोग पाए जाते है एक वो जो अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा आजादी दे देते है लाड़ प्यार में उन्हें इतना सर चढ़ा लेते है कि वो बच्चे कब हाथ से चले जाते हैं पता ही नहीं चलता ... तो दूसरे वो है जो अपने बच्चों पर अनुशासन का ऐसा पहरा लगा कर रखते है कि बच्चा सांस लेने से पहले भी आज्ञा मांगने लगेगा.... अरे नहीं ये तीसरे प्रकार के लोग तो रह ही गए जो केवल दूसरे पर तंज कसना जानते हो बढ़ी आसानी से कह दिया करते है फला इंसान की परवरिश ही अच्छी नहीं हैं ..... आपको नहीं लगता ये कहना किसी पर प्रहार करना जैसा है शब्दों के घाव आत्मा तक चीरने का काम कर जाते है .... आज के वक्त में दूध का धुला तो कोई नहीं होता पर हां सब लगे हैं एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में.... ये छोड़िए ये बात तो औरो की हुई आप खुद तो कहीं अपने बच्चे को वो बनाने पर नहीं तुले है जो आप खुद कभी नहीं बन सके ... यहां बात अच्छी आदतों की नहीं हो रही हैं बात है आप खुद कुछ भी हों लेकिन आपका बच्चा आपको हीरा बनाना हैं. ... आप कीचड़ में कमल खिलाने का प्रयास कर रहे हैं.... एक छोटा बच्चा तो केवल अनुकरण करना जानता है आप जैसा उसके साथ पेश आयेंगे वो सब सीख लेगा... आपने देखा होगा नन्हे से बच्चे को जो सिखाओ वो सब दोहराता है .... अब क्या होता हैं कि नन्हे से बच्चे की बोली इतनी भाती हैं कि कई बार घर के कुछ लोग या पड़ोस कोई भी हो सकता हैं मजे मजे में गाली देना सीखा देते हैं या बच्चा ऐसी चीजों को खुद बहुत जल्दी पकड़ लेता है अब उसने तो अनजाने में पकड़ी वो बात अब घर के सदस्यों के लिए वही खेल बन जाता है वो बार बार उसी बात को बच्चे से दोहराने के लिए कहते... तोतली बोली में जो गाली भी अच्छी लगती है अब सोचो बच्चा बड़ा होगा उसकी जुबा कभी तो साफ होगी और उसी साफ आवाज में वो भी गाली आप पर भी दोहराएगा उसके लिए गाली कोई बड़ी बात नहीं ये तो उसके ही घर के लोग आपस में यूं ही चलते फिरते हंसी मजाक में एक दूसरे को दे देते कोई बड़ी बात थोड़ी ही है बड़ी बात तब लगती है जब वहीं बच्चा अपने स्कूल या आस पास हर जगह आय ही की तरह सामान्य बोल चाल की तरह इन शब्दों का इस्तेमाल करता है और अब उसकी बोली तोतली नहीं रही की सुन कर मजा आएगा .. अब तो सुनने वाला तिलमिला उठता है कि ये बच्चा कहां सीख कर आया है. ..... खुद में चाहे बोलने की तमीज ना हो पर अपने बच्चों को तमीज और अनुशासन का ऐसा पाठ पढ़ाते है कि बच्चे की आवाज ऊंची ना हो ..... आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आदर्श बने तो पहले उसे सुधारने से पहले क्यों ना आप एक नज़र अपने किरदार की ओर घुमाए... देखे की आप खुद कितने झंडे गाड़ कर आये है और अगर नहीं तो पहले खुद को सुधार लीजिए अपनी गलत आदतों को सुधार लीजिए... हर बच्चे की क्षमताएं अलग है माहोल अलग है आप अपनी बेबुनियादी उम्मीदों का बोझ उनके नन्हे कंधों पर कैसे डाल देते हैं ये भूल कर कि आप खुद कभी बच्चे थे याद कीजिए क्या आप खुद भी इतने सक्षम थे जो अपने बच्चे को बनाना चाहते है.…. आपका बच्चा बड़ा होकर नाम कमाए ये उम्मीद रखना कोई गलत बात नहीं पर उसे वो माहौल देना वो सब सिखाना तो आप ही का काम हैं ... बाकि बेबुनियादी उम्मीदों का आधार क्या है..... अनुशासन के नाम पर उन्हें इतना मजबूर ना बनाए कि वो अपनी तकलीफ कहने तक को कतराने लगे.... ट्यूशन पढ़ाई एक्स्ट्रा एक्टिविटी बस आपका बच्चा सबसे आगे होना चाहिए इस होड़ में उससे उसका बचपना ना छीन लीजिएगा l ©Timsi thakur
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