White बेचैन उमंगे शर्म मेरी रोकने लगी है जबकि म | हिंदी कविता Video

"White बेचैन उमंगे शर्म मेरी रोकने लगी है जबकि मुहब्बत क़ी कशिश मुझे तुम्हारी तरफ खिंच रहीं है सुना है मैंने शर्म तो गैरों से क़ी जाती है जबकि अपनों से खुल कर मिलना चाहिए ©Parasram Arora "

White बेचैन उमंगे शर्म मेरी रोकने लगी है जबकि मुहब्बत क़ी कशिश मुझे तुम्हारी तरफ खिंच रहीं है सुना है मैंने शर्म तो गैरों से क़ी जाती है जबकि अपनों से खुल कर मिलना चाहिए ©Parasram Arora

बेचैन उमंगे

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