ना जाने क्या रिश्ता तुमसे दिल जाने फिर क्यों तुमस | हिंदी Shayari

"ना जाने क्या रिश्ता तुमसे दिल जाने फिर क्यों तुमसे जुड़ा ,*यह बंधन हैं एहसासों का एहसास का रिश्ता सबसे बड़ा,* दिल को लगता तुम हो दिल में पर दिल ढूंढे तुमको हर पल ,*तेरे कदमों की आहट को सुनते ही मैं पीछे मुड़ा ©Savitri Parveen Kumar"

 ना जाने क्या रिश्ता तुमसे दिल जाने फिर क्यों  तुमसे जुड़ा ,*यह बंधन हैं एहसासों का एहसास का रिश्ता सबसे बड़ा,* दिल को लगता तुम हो दिल में पर दिल ढूंढे तुमको हर पल ,*तेरे कदमों की आहट को सुनते ही मैं पीछे मुड़ा

©Savitri  Parveen Kumar

ना जाने क्या रिश्ता तुमसे दिल जाने फिर क्यों तुमसे जुड़ा ,*यह बंधन हैं एहसासों का एहसास का रिश्ता सबसे बड़ा,* दिल को लगता तुम हो दिल में पर दिल ढूंढे तुमको हर पल ,*तेरे कदमों की आहट को सुनते ही मैं पीछे मुड़ा ©Savitri Parveen Kumar

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