जीवन धारा (दोहे)
जीवन धारा बह रही, अंत समय की ओर।
जीना है इसको हमें, सुख की पकड़ो डोर।।
रंज से जीवन न कटे, कहते सभी सुजान।
होती पीड़ा है बहुत, मत रहना अनजान।।
जीवन धारा कह रही, मत रुक ऐ नादान।
चलता जा बस मार्ग पर, क्यों होता हैरान।।
कांँटे भी इस पर मिलें, रहना है तैयार।
जीवन ही ये जंग है, मत समझो तुम भार।।
जीवन जीने की कला, समझ सके इंसान।
उत्तम उससे कुछ नहीं, ये उसकी पहचान।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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जीवन धारा (दोहे)
जीवन धारा बह रही, अंत समय की ओर।
जीना है इसको हमें, सुख की पकड़ो डोर।।
रंज से जीवन न कटे, कहते सभी सुजान।