"White अचंभित मैं को मुरझाता सा देख
मैं भी सहमा और सवाल आया
वो श्वेत रक्त से रंजित रज मेरी
अविरत गर्जन सी थी वो रणभेरी
आत्म समर्पण को आतुर अब
जब नश्वर तन, मोक्ष दर लाया
वो दंभ, दशानन सा टूटा है अब
कब कल किसको जाना
समय समाता हर पल, न कर तू जाया।।
©Aavran"