White ,हर बार ख़्वाबों की फ़सल कभी हालात,
वक्त तो कभी परिस्थितियों के बाढ़,
ओले और बर्फ़बारी की मार से ख़राब हो जाते है..
फिर भी दिल हर बार आंखो की ज़मीन
पर कोई नया ख़्वाब बो जाते है..
नए ख़्वाबों के फ़सल का हक़ीकत बन
आँखों की ज़मीन से होठों तक लहराने
की उम्मीद करते जाना..
दिल रुकता क्यों नहीं ख़्वाबों को बोने से
बर्बाद होने तक के सफ़र को कब
तक है चलते जाना..
©Chanchal Chaturvedi
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