White मुझमें कब आक्रोश दिखा है निज पीड़ा का। मैंने | हिंदी कविता

"White मुझमें कब आक्रोश दिखा है निज पीड़ा का। मैंने प्रतिफल मान लिया है प्रभु क्रीड़ा का।। तुम कब उतरोगे विवेक की वैतरणी में। कब तक खोल उतारोगे दम्भी व्रीडा का।। ©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar"

 White मुझमें कब आक्रोश दिखा है निज पीड़ा का।
मैंने  प्रतिफल  मान लिया है प्रभु क्रीड़ा का।।
तुम  कब  उतरोगे  विवेक  की  वैतरणी   में।
कब तक  खोल  उतारोगे  दम्भी  व्रीडा  का।।

©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar

White मुझमें कब आक्रोश दिखा है निज पीड़ा का। मैंने प्रतिफल मान लिया है प्रभु क्रीड़ा का।। तुम कब उतरोगे विवेक की वैतरणी में। कब तक खोल उतारोगे दम्भी व्रीडा का।। ©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar

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