उभरे हुए दर्द को आज भी छुपाती हू
मैं भीड़ मे अक्सर कम जाया
करती हू
सवाल जबाब मे उलझी ये जिंदगी
बड़ी रंग दिखती है मैं खामोशी
से सब समझ जाया
करती हू
काग़ज़ पर लिख के जब ज़ख्म
मिटाती हू चिथड़े हो जाते हैं
दिल के जब जज्बातों
को ख़ुद मे तोड़ दिया
करती हू
©chandni
#Bheed