भारतवर्ष
मोहन मुरली की धुन यहां
संतो की वाणी सदा।
बच्चे की किलकारी में भी
मां देखती ब्रह्मांड यहां।
शिव-शक्ति का रूप यहां
अर्धनारेश्वर पूजते सदा।
गणपति सी विनम्रता यहां
नन्दी सा है धैर्य सदा ।
करते गीता का स्मरण यहां
भागवत का सार सदा।
पुराणो की वाणी यहां
करते वेदो को वंदन सदा।
मीराबाई सी भक्ति यहां
अहिल्याबाई सी बुद्धी सदा।
लक्ष्मीबाई सी वीरता यहां
सावित्रीबाई सी शिक्षका सदा।
कण कण में बसते शिव यहां
सबके मुख पर राम सदा।
शिव से ही उद्धार यहां।
राम नाम ही सत्य सदा।
ऐसे भारतवर्ष भूमि पर
जन्म होने पर गर्व सदा।
ऐसे भारतवर्ष भूमि पर
मृत्यु होने पर मौक्ष सदा ।
- प्रीति चौहान
©Preeti Chauhan
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