जग रौशन हो दीवाली आई है। चहुंओर फिर खुशहाली छाई ह | हिंदी Poetry

"जग रौशन हो दीवाली आई है। चहुंओर फिर खुशहाली छाई है। मन मंदिर हुए जगमग-जगमग। द्वार-द्वार सजी रंगोली पाई है। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 जग रौशन  हो दीवाली आई है।
चहुंओर फिर खुशहाली छाई है।

मन मंदिर हुए जगमग-जगमग।
द्वार-द्वार सजी रंगोली पाई है।

©मनीष कुमार पाटीदार

जग रौशन हो दीवाली आई है। चहुंओर फिर खुशहाली छाई है। मन मंदिर हुए जगमग-जगमग। द्वार-द्वार सजी रंगोली पाई है। ©मनीष कुमार पाटीदार

#Diwali

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