a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आंख में पान | English Shayari

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो। उस की याद आई है सांसो जरा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है। न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा। दोस्ती जब किसी से की जाएदुश्मनों की भी राय ली जाए।शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हमआंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे। . घर के बाहर ढूंढता रहता हूं दुनिया घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है। हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं। रात की धड़कन जब तक जारी रहती है सोते नहीं हम जिम्मेदारी रहती है। तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन आने जाने में किराया भी बहुत लगता है। दिन ढल गया तो रात गुज़रने की आस में सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में। ©matlabi nojoto friends"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
उस की याद आई है सांसो जरा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है।
न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा। दोस्ती जब किसी से की जाएदुश्मनों की भी राय ली जाए।शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हमआंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
. घर के बाहर ढूंढता रहता हूं दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है
सोते नहीं हम जिम्मेदारी रहती है।
तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है। दिन ढल गया तो रात गुज़रने की आस में सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में।

©matlabi nojoto friends

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो। उस की याद आई है सांसो जरा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है। न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा। दोस्ती जब किसी से की जाएदुश्मनों की भी राय ली जाए।शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हमआंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे। . घर के बाहर ढूंढता रहता हूं दुनिया घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है। हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं। रात की धड़कन जब तक जारी रहती है सोते नहीं हम जिम्मेदारी रहती है। तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन आने जाने में किराया भी बहुत लगता है। दिन ढल गया तो रात गुज़रने की आस में सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में। ©matlabi nojoto friends

#SunSet

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