ज़िन्दगी का सफर ये सफ़र भी, कितना सुहाना हो जाता ह | हिंदी शायरी

"ज़िन्दगी का सफर ये सफ़र भी, कितना सुहाना हो जाता है। जब, ख्वाबों में होने वाला, बाहों में हो जाता है। सफ़र में ये इंतज़ार, अकेले हो तो सताता है । मगर साथ हो हमसफ़र,तो मन को भाता है। जैसे जैसे ,ये सफ़र,मंज़िल के करीब आता है। हमारा सुकून,न जाने क्यों,हमसे छिन जाता हैं। लगता है,जिंदगी को मज़ा,सफ़र में ही,आता है। ©दिल की आवाज़ Aakash chhipne"

 ज़िन्दगी का सफर  ये सफ़र भी, कितना सुहाना हो जाता है।
जब, ख्वाबों में होने वाला, बाहों में हो जाता है। 
सफ़र में ये इंतज़ार, अकेले हो तो सताता है ।
मगर साथ हो हमसफ़र,तो मन को भाता है। 
जैसे जैसे ,ये सफ़र,मंज़िल के करीब आता है।
हमारा सुकून,न जाने क्यों,हमसे छिन जाता हैं। 
लगता है,जिंदगी को मज़ा,सफ़र में ही,आता है।

©दिल की आवाज़ Aakash chhipne

ज़िन्दगी का सफर ये सफ़र भी, कितना सुहाना हो जाता है। जब, ख्वाबों में होने वाला, बाहों में हो जाता है। सफ़र में ये इंतज़ार, अकेले हो तो सताता है । मगर साथ हो हमसफ़र,तो मन को भाता है। जैसे जैसे ,ये सफ़र,मंज़िल के करीब आता है। हमारा सुकून,न जाने क्यों,हमसे छिन जाता हैं। लगता है,जिंदगी को मज़ा,सफ़र में ही,आता है। ©दिल की आवाज़ Aakash chhipne

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