बरसते बूंदों से विनती है तुम बरसो पर किसी बेवा औरत | हिंदी Video

"बरसते बूंदों से विनती है तुम बरसो पर किसी बेवा औरत के घर नहीं जो मिट्टी के बने खोली में अभागन जिंदगी को काटती हो। खैरात में मिले दुःख जीवन को शेष उम्र के पूर्व हर रोज मारता हो अक्सर खांसती हुई खुद के लिए मृत्यु की दुहाई रब से करती हो बारिश मत सतना उसे वो लड़खड़ाते पांव से जमी पर चलती है जहां पांव के साथ मिट्टी भी साथ चलती है। तुम मत सताना उसे उसे हिम्मत करने दो जिंदगी के आखिरी दिनों में उत्साह से अंत होने की ©सौरभ अश्क "

बरसते बूंदों से विनती है तुम बरसो पर किसी बेवा औरत के घर नहीं जो मिट्टी के बने खोली में अभागन जिंदगी को काटती हो। खैरात में मिले दुःख जीवन को शेष उम्र के पूर्व हर रोज मारता हो अक्सर खांसती हुई खुद के लिए मृत्यु की दुहाई रब से करती हो बारिश मत सतना उसे वो लड़खड़ाते पांव से जमी पर चलती है जहां पांव के साथ मिट्टी भी साथ चलती है। तुम मत सताना उसे उसे हिम्मत करने दो जिंदगी के आखिरी दिनों में उत्साह से अंत होने की ©सौरभ अश्क

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