जब उसने पूछा मुझसे, "कौन हूँ मैं?"
फिर,मैंने पूछा खुद से, "कौन हूँ मैं?"
खोजते-खोजते मैंने देखा अपने अंदर,
दिल की गहराइयों में छुपा हुआ हूँ मैं।
सावन की बारिश हूँ, बादल ऊँचे उड़ानों का।
तेरे प्यार की बूंदें हूँ,रंग भरे उमंगों का।
मैं एक रंगीन आवाज़ हूँ, एक लहर समुंदर की,
मैं एक बहता दरिया हूँ, एक आईना ज़िंदगी की।
पहाड़ों से गिरता झरना हूँ, ज़िंदगी बहती नदियों में,
फूलों से भरा बगीचा हूँ, खुशबू फैलाता हवाओं में।
सितारों की चमक हूँ,रात को चांदनी बन जाती है,
तेरे दामन में बस कर सपनों को सच बनाता हूँ।
खुद को तन्हा छोड़ कर, विरानों में खोया हुआ,
मैं वही हूँ, जो हकीकत के पार छुपा हुआ।
©Er alam
#Kaun hu main