तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे सनम तोड़ा रिश्ता बिन पू | मराठी कविता

"तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे सनम तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे तूने सनम तोड़ते रिश्ते को तुम क्यूँ टूटे नही एक बार....? हम तो तुम्हारी हथेली में लिख के किये थे तुमसे अपने प्यार का इजहार मुट्ठी बांध के हँसते हुए तुमनें प्रिये फिर नजरें झुका किये प्यार का इकरार हम तो थे बरसो से सुखी प्यासी मिट्टी सावन के पानी बन किये तुमने बौछार बूंद बूंद प्यार के जल के लिये फिर प्रिये हम तो तड़प तड़प के यहाँ जल रहे मेरे यार तोड़ा रिश्ता बिन पूछे तुमने हमसे सनम लिखते चिठ्ठी हाँथ कांपे क्यूँ नही एक बार...? नाम अपना प्रिये तुम अमर कर के गये लेके नाम तुम्हारा हम तो रोज छेड़े गये नाम अपना है तो ये फिर बदनाम कैसा...? अपने नाम से ज्यादा तेरे नाम से पूछे गये.. हम तो कहते फिरते है आज भी जग को प्रिये. हम अपने नाम को तुम्हारे नाम कर के गये... कहते फिरते हो दे दो नाम फिर अपना हमे ये कहते हुए जुबा लड़खड़ाये क्यूँ नही एक बार......? तुम फुदकते फिरते थे यू तो मेरे चारो ओर की है मुझको तुमसे बेतहासा मोहब्बत ये प्यार कसम खा मैं ये तो सच कहती हूं तुमसे मेरी गर्दन में चाहें लगा दे कोई तलवार... ये तलवार मुझपर क्यूँ तुमने चलाये प्रिये खून तो निकले नही, बहते है आंसूओ की धार आंसुओ की धाराओ में दिल मेरा बहने लगा टूटे दिल ने फिर रो कहा होती है अपनो से हार मुझको हरा के तुम ,न कभी खुश रह पाओगे.. मानये खुशियां गम मेरे हार का क्यूँ नही हुआ एक बार..? ✍️sp✍️ ©Somesh DEwangan"

 तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे सनम

 तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे तूने सनम
 तोड़ते रिश्ते को तुम क्यूँ टूटे नही एक बार....?
 
हम तो तुम्हारी हथेली में लिख के
किये थे तुमसे अपने प्यार का इजहार
मुट्ठी बांध के हँसते हुए तुमनें प्रिये
फिर नजरें झुका किये प्यार का इकरार
हम तो थे बरसो से सुखी प्यासी मिट्टी
सावन के पानी बन किये तुमने बौछार
बूंद बूंद प्यार के जल के लिये फिर प्रिये
हम तो तड़प तड़प के यहाँ जल रहे मेरे यार

तोड़ा रिश्ता बिन पूछे तुमने हमसे सनम
लिखते चिठ्ठी हाँथ कांपे क्यूँ नही एक बार...?

नाम अपना प्रिये तुम अमर कर के गये
लेके नाम तुम्हारा हम तो रोज छेड़े गये
नाम अपना है तो ये फिर बदनाम कैसा...?
अपने नाम से ज्यादा तेरे नाम से पूछे गये..
हम तो कहते फिरते है आज भी जग को प्रिये.
हम अपने नाम को  तुम्हारे नाम कर के गये...

कहते फिरते हो दे दो नाम फिर अपना हमे
ये कहते हुए जुबा लड़खड़ाये क्यूँ नही एक बार......?

 तुम फुदकते फिरते थे यू तो मेरे चारो ओर
 की है मुझको तुमसे बेतहासा मोहब्बत ये प्यार
 कसम खा मैं ये तो सच कहती हूं तुमसे
 मेरी गर्दन में चाहें लगा दे कोई तलवार...
 ये तलवार मुझपर क्यूँ तुमने चलाये प्रिये
 खून तो निकले नही, बहते है आंसूओ की धार
 आंसुओ की धाराओ में दिल मेरा बहने लगा 
 टूटे दिल ने फिर रो कहा होती है अपनो से हार

मुझको हरा के तुम ,न कभी खुश रह पाओगे..
मानये खुशियां गम मेरे हार का क्यूँ नही हुआ एक बार..?

  ✍️sp✍️

©Somesh DEwangan

तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे सनम तोड़ा रिश्ता बिन पूछे हमशे तूने सनम तोड़ते रिश्ते को तुम क्यूँ टूटे नही एक बार....? हम तो तुम्हारी हथेली में लिख के किये थे तुमसे अपने प्यार का इजहार मुट्ठी बांध के हँसते हुए तुमनें प्रिये फिर नजरें झुका किये प्यार का इकरार हम तो थे बरसो से सुखी प्यासी मिट्टी सावन के पानी बन किये तुमने बौछार बूंद बूंद प्यार के जल के लिये फिर प्रिये हम तो तड़प तड़प के यहाँ जल रहे मेरे यार तोड़ा रिश्ता बिन पूछे तुमने हमसे सनम लिखते चिठ्ठी हाँथ कांपे क्यूँ नही एक बार...? नाम अपना प्रिये तुम अमर कर के गये लेके नाम तुम्हारा हम तो रोज छेड़े गये नाम अपना है तो ये फिर बदनाम कैसा...? अपने नाम से ज्यादा तेरे नाम से पूछे गये.. हम तो कहते फिरते है आज भी जग को प्रिये. हम अपने नाम को तुम्हारे नाम कर के गये... कहते फिरते हो दे दो नाम फिर अपना हमे ये कहते हुए जुबा लड़खड़ाये क्यूँ नही एक बार......? तुम फुदकते फिरते थे यू तो मेरे चारो ओर की है मुझको तुमसे बेतहासा मोहब्बत ये प्यार कसम खा मैं ये तो सच कहती हूं तुमसे मेरी गर्दन में चाहें लगा दे कोई तलवार... ये तलवार मुझपर क्यूँ तुमने चलाये प्रिये खून तो निकले नही, बहते है आंसूओ की धार आंसुओ की धाराओ में दिल मेरा बहने लगा टूटे दिल ने फिर रो कहा होती है अपनो से हार मुझको हरा के तुम ,न कभी खुश रह पाओगे.. मानये खुशियां गम मेरे हार का क्यूँ नही हुआ एक बार..? ✍️sp✍️ ©Somesh DEwangan

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