White सोचता हूं..उम्र ढली है या अहसास ढले हैं, कि. | हिंदी शायरी

"White सोचता हूं..उम्र ढली है या अहसास ढले हैं, कि..वक्त की बिसात पर विश्वास ढले हैं। हम झूलते ही रह गए, जीवन और मृत्यु में, कितने मुस्कुराते चेहरे, आस पास ढले हैं। 🍁🍁🍁 ©Neel"

 White सोचता हूं..उम्र ढली है या अहसास ढले हैं,
कि..वक्त की बिसात पर विश्वास ढले हैं।

हम झूलते ही रह गए, जीवन और मृत्यु में,
कितने मुस्कुराते चेहरे, आस पास ढले हैं।

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©Neel

White सोचता हूं..उम्र ढली है या अहसास ढले हैं, कि..वक्त की बिसात पर विश्वास ढले हैं। हम झूलते ही रह गए, जीवन और मृत्यु में, कितने मुस्कुराते चेहरे, आस पास ढले हैं। 🍁🍁🍁 ©Neel

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