"लिखते हैं जिंदगी की किताब"
जो भी चाहा था, सब ज़िंदगी से मुझे वो
मिला, जो ना चाहा था ,उपरांत वो भी मिला।
इस तरह ज़िंदगी कुछ मेहरबा है मुझपे,
रुका नहीं है अब भी, इनायतो का सिलसिला।
अभी भी मिलते हैं ,तोहफ़े में गुलदस्ते गुलाब,
लिखते हैं जिनके नाम से, ज़िंदगी की क़िताब।।
©Anuj Ray
# लिखते हैं ज़िंदगी की क़िताब "