बीतती सेहरों में, पल पुराने सींचते होगे तुम। याद क | हिंदी कविता

"बीतती सेहरों में, पल पुराने सींचते होगे तुम। याद करने कल को, आँख मींचते होगे तुम।। क्या सावन अगहन, तारीखें नोचते होगे तुम। फिर लगा कयास भावी, हमें सोचते होगे तुम।। ©गुस्ताख़शब्द"

 बीतती सेहरों में, पल पुराने सींचते होगे तुम।
याद करने कल को, आँख मींचते होगे तुम।।

क्या सावन अगहन, तारीखें नोचते होगे तुम।
फिर लगा कयास भावी, हमें सोचते होगे तुम।।

©गुस्ताख़शब्द

बीतती सेहरों में, पल पुराने सींचते होगे तुम। याद करने कल को, आँख मींचते होगे तुम।। क्या सावन अगहन, तारीखें नोचते होगे तुम। फिर लगा कयास भावी, हमें सोचते होगे तुम।। ©गुस्ताख़शब्द

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