डूबता सूरज देता हैं संदेश, असीम, विस्तीर्ण मेरा पर | हिंदी कविता Video

"डूबता सूरज देता हैं संदेश, असीम, विस्तीर्ण मेरा परिवेश। रक्तिम कर, नील गगन को "समझाना मानव अपने मन को" मुझको उगना के जग के उस ओर जहाँ का तम मिटा, करनी है भोर। इस ओर आयेगा डर,वहां का तम मै आऊंगा पुनः पुनः, न कर आँखें नम। ©Kamlesh Kandpal "

डूबता सूरज देता हैं संदेश, असीम, विस्तीर्ण मेरा परिवेश। रक्तिम कर, नील गगन को "समझाना मानव अपने मन को" मुझको उगना के जग के उस ओर जहाँ का तम मिटा, करनी है भोर। इस ओर आयेगा डर,वहां का तम मै आऊंगा पुनः पुनः, न कर आँखें नम। ©Kamlesh Kandpal

#SunSet

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