White ज़ख़्म-ए-उम्मीद भर गया कब का क़ैस तो अपने घर | हिंदी Shayari

"White ज़ख़्म-ए-उम्मीद भर गया कब का क़ैस तो अपने घर गया कब का अब तो मुँह अपना मत दिखाओ मुझे नासेहो मैं सुधर गया कब का आप अब पूछने को आए हैं दिल मिरी जान मर गया कब का आप इक और नींद ले लीजे क़ाफ़िला कूच कर गया कब का मेरा फ़िहरिस्त से निकाल दो नाम मैं तो ख़ुद से मुकर गया कब का @jaun elia . . . ©दिवाकर"

 White ज़ख़्म-ए-उम्मीद भर गया कब का
क़ैस तो अपने घर गया कब का

अब तो मुँह अपना मत दिखाओ मुझे
नासेहो मैं सुधर गया कब का

आप अब पूछने को आए हैं
दिल मिरी जान मर गया कब का

आप इक और नींद ले लीजे
क़ाफ़िला कूच कर गया कब का

मेरा फ़िहरिस्त से निकाल दो नाम
मैं तो ख़ुद से मुकर गया कब का


@jaun elia



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©दिवाकर

White ज़ख़्म-ए-उम्मीद भर गया कब का क़ैस तो अपने घर गया कब का अब तो मुँह अपना मत दिखाओ मुझे नासेहो मैं सुधर गया कब का आप अब पूछने को आए हैं दिल मिरी जान मर गया कब का आप इक और नींद ले लीजे क़ाफ़िला कूच कर गया कब का मेरा फ़िहरिस्त से निकाल दो नाम मैं तो ख़ुद से मुकर गया कब का @jaun elia . . . ©दिवाकर

#sad_qoute shayari sad shayari attitude

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