तुम पूछोगे अगर एकरोज
तो मैं चाहूँगी,,,
वो कोना स्मृतियों का...
जहाँ फिर से एक रोज मिलो...
फिर सुने माथे पर बिंदी लगाओ
जैसे पहली बार लगाया था....
याद है वो हल्का सा घूंघट
अपने हाँथों से मेरे चेहरे को छिपाया था...
रश्मों और रेखाओं से परे
एक छोटा सा कोना......
ह्रदय के सबसे करीब....
©Ankita Singh
स्मृतियां