शहीद भगत सिंह पल्लव की डायरी
शान में शहीदों की गुस्ताखी हो रही है
लडे से जिस व्यवस्था से
वही व्यवस्था कायम हो रही है
जुल्म अत्याचार शोषण वही
बस चेहरे बदल कर,
दुर्गति प्रजा की हो रही है
बेड़ियों में जकड़ा हर इंसान
फिर सुभष भगत के बलिदानों की
किया कीमत चुकता हो रही है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Deshbhakti बलिदानो की किया कीमत चुकता हो रही है
#nojotohindi