सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे,
शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे।
सो न पाए मेरे संग ज़मी पर,
शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे।
वो चल सके न मेरे संग दो पल,
शायद मन उनके बहुत चंचल रहे होंगे।
✍️शैलेन्द्र राजपूत
©HINDI SAHITYA SAGAR
सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे,
शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे।
सो न पाए मेरे संग ज़मी पर,
शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे।
वो चल सके न मेरे संग दो पल,
शायद मन उनके बहुत चंचल रहे होंगे।